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समाज का दोगला चरित्र यह अंधा स्वार्थ कहां ले जायेगा यह अत्यन्त भयावह होगा। मन में कुछ ज़िंदगी है बयां कुछ लफ्जों में कुछ पाना कुछ खोना मीठी कुछ खट्टी कुछ घुटन सी है सीने में ..तनहा शायर हूं बहुत कुछ था लिखनेको मन में फिर सोचा कुछ अलफ़ाज़ जिन्दगी के नाम लिख दूँ।

Hindi मुख में कुछ Poems